शुक्रवार, 20 नवंबर 2015

सूर्य देव की आरती

सूर्य देव की आरती

आरती - 1
सूर्य देव की आरती 
 
जय कश्यप नन्दन, ऊँ जय अदिति नन्दन।
द्दिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥ ऊँ जय….
जय सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।
दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥ ऊँ जय….
जय सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।
अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥ ऊँ जय….
जय सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।
विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥ ऊँ जय…
जय कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।
सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥ ऊँ जय…
जय नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।
वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥ ऊँ जय…
जय सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।
हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥ जय ..


आरती -2 
सूर्य देव आरती 

 जय जय जय रविदेव जय जय जय रविदेव l
रजनीपति मदहारी शतलद जीवन दाता ll
पटपद मन मदुकारी हे दिनमण दाता l
जग के हे रविदेव जय जय जय स्वदेव ll
नभ मंडल के वाणी ज्योति प्रकाशक देवा l
निजजन हित सुखराशी तेरी हम सब सेवा ll
करते हैं रविदेव जय जय जय रविदेव l
कनक बदन मन मोहित रुचिर प्रभा प्यारी ll
नित मंडल से मंडित अजर अमर छविधारी l
हे सुरवर रविदेव जय जय जय रविदेव ll

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें