मंगलवार, 30 अक्तूबर 2012

धर्म के अर्थ में रिलिजन का भ्रम


धर्म का अर्थ बहुत व्यापक है यह केवल Religion शब्द का हिन्दी अनुवाद मात्र नहीं है। धर्म शब्द के प्रति भ्रम की यह स्थिति क्षद्म सेक्युलरो(pseudo-secular) के द्वरा उत्पन्न की गई है।  आज के युवाओ को धर्म शब्द का अर्थ अंग्रेजी का शब्दकोश बताता है शायद हम ही अपनी सनातन संस्कृति को पूरी तरह नहीं समझ पाए;  'धर्म' का जब से 'रिलीजन' में अनुवाद हुआ तब से तो इसका अर्थ यही लगाया जाने लगा कि यह एक विशेष प्रकार की पूजा-आराधना पद्धति में आस्था-विश्वास रखने वाले  तथा एक प्रकार के मार्ग पर यंत्रवत चलने वाला तथा संप्रदाय विशेष है।

"धर्म" एक संस्कृत भाषा का शब्द है, जिसका आज तक किसी अन्य भाषा में अनुवाद हो ही नहीं पाया। धर्म का अर्थ बहुत व्यापक है  धर्म एक ऐसा आधार है, जिस पर सत्य, त्याग,बुद्धि, विवेक, चरित्र, शील, निष्ठा, सेवा, नैतिकता और कर्तव्यपरायणता आदि जैसे गुण पोषित और विकसित होते हैं ।


कर्तव्य की पूर्ति, यानि कर्तव्य को पूरा करना धर्म है । जो भी हमारे दयित्व हैं उन्हें पूरा करना। धर्म इसी को कहते हैं। हमारे जो कर्तव्य हैं उन्हें ठीक तरह से पूरा करना ही धर्म है। कर्तव्य का अर्थ भी गहरा है, केवल जिम्मेदारियां पूरी करना या कर्म करना ही कर्तव्य नहीं है। कर्तव्य शब्द का अर्थ ऐसे कर्म करना जिससे प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से किसी को हानि न पहुंचे।  जब हम अपने कर्म इस बात को ध्यान में रखकर करते हैं कि किसी को हमारे कर्मो से सीधे-सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से परेशानी न हो तो समझिए हम धार्मिक हो जाएंगे। फिर हमारे भीतर सत्य, त्याग, क्षमा, दया, अहिंसा जैसे भाव भी अपनेआप आ जाएंगे। इसलिए याद रखिए अगर धर्म को पाना चाहते हैं तो उसके लिए कर्तव्य पथ पर आगे बढ़िए, धर्म अपनेआप मिल जाएगा।  धर्म के बिना जीवन का कोई अस्तित्व नहीं।


मै धर्मज्ञ मनु तो नहीं बन सकती लेकिन सरल शब्दों यही धर्म है।  कुछ मनुष्य यह इसलिए नहीं सीख पा रहे है क्योकि अधर्मियो ने "धर्म" को साम्प्रदायिकता नाम कि गाली दे कर अपना नाम सेक्यूलरिज्म (यानि कुकुर पंथ ) रख कर लोगो को भ्रमित कर दिया है, जब कि यही कुकुरपंथी ही वास्तविक सांप्रदायिक है।

धर्मज्ञ स्वायम्भु मनु के वचन  "धर्मो रक्षति रक्षितः". जो धर्म की रक्षा करता है वह स्वयं रक्षित होता है यह सूत्र हमारे बीच आज ही उत्पन्न नहीं हुआ इसका इतिहास काल गणना तो मै भी नहीं जानती | लेकिन आज तक इस सूत्र से कोई जिहादी या ओपसडेई  उत्पन्न नहीं हुआ| धर्म का एकमेव लक्ष्य ही "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया" है रिलीजन शब्द से एक ऐसे संकुचित व अपूर्ण भाव का बोध होता है की उसमें धर्म तत्त्व समाहित नहीं होता | विश्व पटल पर रिलीजन केवल मतान्ध लोगो फ़ौज बना रहा है धर्म और religion में धरती और आकाश जैसा अन्तर है|  धर्म को religion कहना धर्म का अपमान है धर्म अनन्त है|
 भाइयो आपसे निवेदन है धर्म का अर्थ अपनी संस्कृति और ग्रंथो से सीखिए  Oxford  या Merriam-Webster  Dictionary से नहीं| आप को विश्व विजय करना है तो सहर्ष कीजिये मुझे कोई आपति नहीं है लेकिन अपनी संस्कृति सभ्यताओं और मूल्यों के साथ खिलवाड़ न करे  यथार्थ जाने और उसे आत्मसात करे।


धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः ।
तस्माद्धर्मो न हन्तव्यः मानो धर्मो हतोवाधीत् ॥

अर्थ : धर्म उसका नाश करता है जो उसका (धर्म का ) नाश करता है | धर्म उसका रक्षण करता है जो उसके रक्षणार्थ प्रयास करता है | अतः धर्मका नाश नहीं करना चाहिए | ध्यान रहे धर्मका नाश करनेवालेका नाश, अवश्यंभावी है |

Dharma destroys those that destroy dharma. Dharma protects those that protect it. Hence, Dharma should not be destroyed. keep that in mind  Dharma that is destroyed, destroyers.


( द्वारा वर्षा सिंह चौहान के ब्लॉग से  )



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